
जानकी अम्माल
चर्चा में क्यों ?
हाल ही में 5 नवंबर को एडवलथ कक्कट जानकी अम्मल की 125वीं जयंती मनाई गयी |
जानकी अम्माल के बारे में –
जन्म- 1897 में केरल के कन्नूर जिले के थालास्सेरी में हुआ था |
भारत की महिला वैज्ञानिक अम्माल , वनस्पति और कोशिका वैज्ञानिक थीं जिन्होंने आनुवांशिकी, उद्विकास, वानस्पतिक भूगोल और नृजातीय वानस्पतिकी के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान दिया | इनके शोध में क्रॉस-ब्रीडिंग के लिए पौधे की किस्मों का विश्लेषण करना भी शामिल था|
सेव द साइलेंट वैली आंदोलन के साथ उनका जुड़ाव - केरल के पलक्कड़ जिले में साइलेंट वैली के जंगल में एक जलविद्युत परियोजना को बाढ़ से रोकने के लिए एक अभियान शुरू किया गया |
1951 में उन्हें तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू द्वारा भारतीय वनस्पति सर्वेक्षण के पुनर्गठन के लिए आमंत्रित करना उनकी ख्याति में से एक था|
अम्माल को वर्ष 1935 में भारतीय विज्ञान अकादमी और वर्ष 1957 में भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी का फेलो के लिए चुना गया | वर्ष 1956 मिशिगन विश्वविद्यालय में D.Sc. (पीएचडी के समान डिग्री) से सम्मानित मानक उपाधि प्रदान गयी |
भारत सरकार द्वारा उन्हें वर्ष 1977 में पद्म श्री से सम्मानित किया गया | वर्ष 2000 में भारत सरकार के पर्यावरण और वन मंत्रालय ने उनके नाम का विज्ञान के क्षेत्र में राष्ट्रीय पुरस्कार स्थापित किया |
प्रेरणा के रूप में जानकी अम्माल
जानकी अम्माल का जन्म भारत में एक ऐसे समय में हुआ था जब अंग्रेज भारत पर शासन करते थे और जब जातिगत भेदभाव बड़े पैमाने पर फैला था |
जानकी अम्माल थिया समुदाय से सम्बधित थी जिसे एक पिछड़ा समुदाय माना जाता था |
जानकी अम्माल को एकल महिला वैज्ञानिक होने के कारण अपने सहकर्मियों से भेदभाव और उत्पीड़न का भी सामना करना पड़ा ||