
इला भट्ट
चर्चा में क्यों ?
हाल ही में, प्रसिद्ध महिला सशक्तिकरण कार्यकर्त्ता और प्रसिद्ध स्व-रोजगार महिला संघ (SEWA) की संस्थापक, गांधीवादी और प्रमुख महिला अधिकारिता कार्यकर्ता इलाबेन भट्ट का अहमदाबाद में निधन हो गया|
इलाबेन भट्ट के बारे में -
जन्म- इनका जन्म 7 सितंबर, 1933 को अहमदाबाद में एक समृद्ध परिवार में हुआ था जो सामाजिक कल्याण कार्यों से जुड़ा था | इन्हें "सौम्य क्रांतिकारी" के रूप में जाना जाता था|
इन्होंने 1972 में स्व-रोजगार महिला संघ (SEWA) की स्थापना की , जिस संगठन के माध्यम से लाखों महिलाओं के जीवन को आत्मनिर्भर बनाने हेतु पांच दशकों के लिए उन्हें लघु ऋण प्रदान किया| इनका उद्देश्य भारतीय महिलाओं की स्थिति में संरचनात्मक सुधार लाना था |
इन्होंने अनसूया साराभाई और महात्मा गांधी द्वारा स्थापित टेक्सटाइल लेबर एसोसिएशन- मजूर महाजन संघ की महिला विंग का भी नेतृत्व किया|
वह दुनिया भर में मानवाधिकारों और शांति को बढ़ावा देने के लिए 2007 में,नेल्सन मंडेला द्वारा स्थापित एल्डर्स नामक वैश्विक नेताओं के एक समूह का हिस्सा बनी|
इन्होंने महिला विश्व बैंकिंग की अध्यक्ष के रूप में कार्य किया और विश्व बैंक के सलाहकार के रूप में , संयुक्त राष्ट्र महासभा को संबोधित किया |
इला बेन को अपने कार्यो के लिए पद्म भूषण, मैग्सेसे पुरस्कार और इंदिरा गांधी सद्भावना पुरस्कार सहित कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित किया गया था|
स्व-रोजगार महिला संघ (SEWA)
SEWA का गठन, 1920 के टेक्सटाइल लेबर एसोसिएशन (TLA) में किया गया ताकि अनौपचारिक अर्थव्यवस्था में स्व-नियोजित महिलाओं को संगठित किया जा सके और सामाजिक न्याय, समानता के लिए उनके सामूहिक संघर्ष में सहायता की जा सके|
इसमें सत्य (सत्य), अहिंसा (अहिंसा), सर्वधर्म (सभी धर्मों, सभी लोगों को एकीकृत करना) और खादी (स्थानीय रोजगार और आत्मनिर्भरता) के गांधीवादी सिद्धांत शामिल थे|
परन्तु 1972 तक सेवा सदस्यों के पास सुनियोजित "नियोक्ता" प्रणाली नहीं होने के कारण यह ट्रेड यूनियन के रूप में पंजीकृत होने में विफल रहा क्योंकि केवल 10 रुपये की वार्षिक सदस्यता शुल्क के साथ, SEWA की सदस्यता प्राप्त की जा सकती थी |
1981 में, आरक्षण विरोधी दंगों के बाद अर्थातजिसमें चिकित्सा शिक्षा में दलितों के लिए कोटा का समर्थन करने के लिए भट्टों को निशाना बनाया गया था, TLA ने SEWA से संबंध तोड़ लिया|
यद्यपि SEWA शहरी क्षेत्रों में शुरू हुआ था , 1980 के दशक के उत्तरार्ध से यह शिल्प और उत्पादकों के समूहों, स्वयं सहायता समूहों (SHG) , ग्राम संसाधन केंद्रों और ग्रामीण वितरण नेटवर्क जैसे नवीन संरचनाओं का उपयोग करके ग्रामीण भारत में सफलतापूर्वक फैल रहा है | SEWA , ग्रामीण सदस्यों द्वारा उत्पादित कृषि वस्तुओं का प्रसंस्करण, पैकेज और विपणन का भी कार्य करता है|
SEWA की 66 प्रतिशत सदस्यता ग्रामीण क्षेत्रों से सम्बन्धित है| भारत के सबसे दूरस्थ क्षेत्रों में गरीब और अशक्त महिलाओं को बैंकिंग, आवास, बीमा, शिक्षा और बालसेवा के लिए सहकारी समितियों और अन्य सामाजिक-सुरक्षा प्रकार के संगठनों की स्थापना ही अहम् रोल निभा रही है |
महिला सशक्तिकरण के लिए सरकार द्वारा की गई विभिन्न पहलें –
बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ (BBBP) - बालिकाओं की सुरक्षा, अस्तित्व और शिक्षा सुनिश्चित करना तथा बालिका लिंग अनुपात में सुधार करना है|
सुकन्या समृद्धि योजना (SSY) - लड़कियों के बैंक खाते खोलकर उनका आर्थिक सशक्तिकरण करना है|
किशोरियों के लिए योजना: इसका उद्देश्य 11-18 आयु वर्ग की लड़कियों को सशक्त बनाना और पोषण, जीवन कौशल, गृह कौशल और व्यावसायिक प्रशिक्षण के माध्यम से उनकी सामाजिक स्थिति में सुधार करना है|
राष्ट्रीय शिशु गृह योजना- महिलाओं एवं उनके बच्चों को एक सुरक्षित वातावरण प्रदान करके लाभकारी रोजगार प्रदान करना|
प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना- गर्भवती और स्तनपान कराने वाली माताओं को मातृत्व लाभ सुनिश्चित करती है|
प्रधानमंत्री आवास योजना -महिला के नाम से भी आवास उपलब्ध कराना सुनिश्चित करती है|
प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना - महिलाओं को मुफ्त में एलपीजी सिलेंडर उपलब्ध कराना और उनकी सुरक्षा करना|
सहकारी समिति-
लोगों का ऐसा संघ है जो अपने पारस्परिक लाभ (सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक) के लिए स्वेच्छापूर्वक सहयोग करते हैं।
स्वयं सहायता समूह {SHG }
सामान्यतः एक ही सामाजिक-आर्थिक पृष्ठभूमि से आने वाले लोगों का एक ऐसा समूह जिसके सदस्य एक-दूसरे के सहयोग के माध्यम से अपनी साझा समस्याओं का समाधान करतेहैं| SHG स्वरोज़गार और गरीबी उन्मूलन को प्रोत्साहित करने के लिये "स्वयं सहायता" (Self-Employment) की धारणा पर विश्वास करता है|