Nov. 15, 2022

EWS कोटा – सुप्रीम कोर्ट

चर्चा में क्यों ?

हाल ही में सुप्रीम कोर्ट द्वारा 3:2 के बहुमत से आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग से सम्बंधित संविधान संशोधन  अधिनियम, 2019 अर्थात 103वें संविधान संशोधन अधिनियम की वैधता को बरकरार रखने का निर्णय लिया गया।

103वाँ सविधान संशोधन क्या है ?

  • इसके तहत सामान्य श्रेणी के अंतर्गत आने वाली उच्च जातियों के आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों (EWS) को शिक्षा और रोजगार में 10% तक आरक्षण प्रदान किया गया है। इसे 50 % श्रेणी से बहार रखा गया।
  • EWS समूह - जो किसी जातिगत समुदाय-आधारित (OBC, SC, ST )आरक्षण के अंतर्गत शामिल न होता हो, जिसकी वित्तीय वर्ष में सभी स्रोतों से 8 लाख रूपये  से कम की वार्षिक पारिवारिक आय हो। 
  • EWS में शामिल नहीं – जिनके पास पाँच एकड़ कृषि भूमि, या 1,000 वर्ग फुट का आवासीय फ्लैट, या अधिसूचित नगर पालिकाओं में 100 वर्ग गज और उससे अधिक का आवासीय भूखंड, या अन्य क्षेत्रों में 200 वर्ग गज का भूखंड हो।
  • चूंकि यह समवर्ती सूची के विषयों (रोजगार, शिक्षा) पर एक केंद्रीय कानून है, इसलिए राज्य सरकारों द्वारा स्थानीय रूप से अपनाने से पूर्व इसकी पुष्टि करने की आवश्यकता है

आरक्षण क्या है? 

  • आरक्षण मूल रूप से शूद्रों और दलितों के साथ हुए ऐतिहासिक अन्याय से जुड़ा हुआ है। जाति-विरोधी आंदोलन के दौरान, आरक्षण का विचार एक “समतावादी सामाजिक व्यवस्था” के लिए, सामाजिक-राजनीतिक व्यवस्था में उचित प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने , मानव के प्रति अमानवीय बहिष्कार को कम करने और क्षतिपूर्ति करने के लिए लाया गया था। 
  • आरक्षण राजनीति, शिक्षा और सार्वजनिक रोजगार में लागू किया जाता है,ताकि सामाजिक पदानुक्रम के सभी लोग समान शर्तों पर राष्ट्र निर्माण में भाग ले सकें। लेकिन वर्तमान में राष्ट्रवादियों के लिए यथास्थितिवादी पदानुक्रमित 'होने' पर आधारित है, न कि भविष्य में समतावादी 'बनने' पर।
  • बी.आर. अम्बेडकर और ई.वी. रामास्वामी 'पेरियार' ने प्रतिनिधित्व प्रदान करने के साधन के रूप में आरक्षण की बात की, न कि गरीबी उन्मूलन कार्यक्रम के रूप में।
  • इंद्रा साहनी वाद (1992) में नौ-न्यायाधीशों की बेंच के अनुसार- केवल, आर्थिक मानदंडों के आधार पर कोई आरक्षण नहीं हो सकता है क्योंकि संविधान में इससे संबधित कोई प्रावधान शामिल नहीं है।

EWS आरक्षण के पक्ष में न्यायाधीशों का तर्क 

  • EWS कोटा समानता और संविधान के बुनियादी ढाँचे का उल्लंघन नहीं करता है तथा मंडल आयोग द्वारा निर्धारित 50% सीमा के आधार पर EWS  हेतु आरक्षण संविधान की मूल संरचना का उल्लंघन नहीं करता है। 
  • आरक्षण न केवल सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गों को समाज में शामिल करने के लिए, बल्कि वंचित वर्ग के लिए भी महत्वपूर्ण है। केवल आर्थिक मानदंडों के आधार पर एक वर्ग को वर्गीकृत करना संविधान के तहत अनुमत है।
  • मौलिक अधिकारों के उल्लंघन पर कानून को असंवैधानिक घोषित किया जा सकता है, परंतु कोटा सामाजिक कल्याण और उसके विकास सम्बन्धी उद्देश्य से जुड़ा है।
  • अनुच्छेद -15 (4) और 16 (4) के तहत आने वाले वर्गों को आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के रूप में आरक्षण का लाभ प्राप्त करने से बाहर करना,प्रतिपूरक भेदभाव समानता संहिता का उल्लंघन होगा। 
  • अनुच्छेद- 15 (4) के तहत राज्य को सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े अनुसूचित जाति (SC), अनुसूचित जनजाति (ST) एवं अन्य पिछड़ा वर्ग के लोगों के लिए विशेष प्रावधान बनाने की छूट देता है।
  • अनुच्छेद- 16(4),  नागरिकों के पिछड़े वर्ग के रूप में राज्य के तहत सेवाओं के आरक्षण का प्रावधान करता है।

EWS आरक्षण के विपक्ष में न्यायाधीशों का तर्क   

  • मंडल आयोग ने 1891 और 1931 की जनगणना के आंकड़ों पर आधारित डेटा पर रिपोर्ट जारी की थी, परन्तु EWS के 10% आरक्षण हेतु कोई विश्वसनीय डेटा का प्रयोग नहीं किया गया।
  • मंडल आयोग के अनुसार- "असमानों की बराबरी करना असमानता को कायम रखना है"। सुप्रीम कोर्ट ने EWS कोटा को हरी झंडी देकर सकारात्मक कार्रवाई की श्रेणी में असमानों की बराबरी को मंजूरी दी है।
  • EWS कोटा अनुचित है क्योंकि यह ऐतिहासिक रूप से दमनकारी जाति व्यवस्था से लाभान्वित होने वाले समुदायों को अतिरिक्त विशेषाधिकार देकर, सामाजिक न्याय के विचार के बदले हुए स्वरूप को पेश करता है।
  • अनुच्छेद-16, सार्वजनिक रोजगार में अवसर की समानता को अनिवार्य करता है और आरक्षण, गैर-प्रतिनिधित्व वाले वर्गों के लिए एकमात्र अपवाद है। EWS श्रेणी "अपर्याप्त प्रतिनिधित्व" पर आधारित एक श्रेणी की शुरुआत करके "समान अवसर और प्रतिनिधित्व के बीच इस कड़ी को समाप्त करती है"।

आगे की राह 

  • आरक्षण सामाजिक-आर्थिक समस्याओं का कोई रामबाण इलाज़ नहीं है और चुनावी लाभ के लिये भारतीय राजनीतिक दलों द्वारा आरक्षण पर वोट माँगने और इसके दायरे की लगातार बढ़ती प्रवृत्ति को रोकना चाहिए।आरक्षण की बजाय सरकार को शिक्षा की गुणवत्ता और अन्य प्रभावी सामाजिक उत्थान के उपायों पर ध्यान केन्द्रित करना चाहिये।   

 

संभावित प्रश्न

प्रश्न- निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: 

1.   अनुच्छेद-16(4) के तहत राज्य को सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े अनुसूचित जाति,अनुसूचित जनजाति एवं अन्य पिछड़ा वर्ग के लोगों के लिए विशेष          प्रावधान बनाने की छूट देता है।

2.     अनुच्छेद-15 (4), नागरिकों के पिछड़े वर्ग के रूप में राज्य के तहत सेवाओं के आरक्षण का प्रावधान करता है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a)        केवल 1

(b)        केवल 2

(c)        1 और 2 दोनों

(d)        न तो 1 और न ही 2

मुख्य परीक्षा प्रश्न

प्रश्न.     103वां संविधान संशोधन अधिनियम जाति पर आधारित आरक्षण की पुरातन व्यवस्था को कमजोर करते हुए सामान्य श्रेणी के कमजोर वर्ग को आरक्षण प्रदान करने के लिए एक नया आधार प्रदान करता है। व्याख्या किजिए । (250 शब्द)