Sept. 7, 2023

Performance Enhancing Practice (PEP)

PEP 1

यद्यपि हड़प्पा सभ्यता के नगरीय चरण का अन्त 1900 ईसा-पूर्व तक हो गया, परन्तु हड़प्पा सभ्यता की विरासत आद्य-ऐतिहासिक काल एवं ऐतिहासिक काल तक देखी जा सकती है। परीक्षण कीजिए।

Although urban phase of Harappa civilization ended up to 1900 BCE but its legacy is visible in different parts of Indian subcontinent during proto-historic to historic phase. Examine the statement.

आवश्यक अध्ययन सामग्री की अनुपस्थिति में हड़प्पा सभ्यता के पतन का अध्ययन आरम्भ से ही प्रमुख चुनौती रहा है। इस क्रम में मार्टीमर ह्वीलर ने अकस्मात् अंत का सिद्धांत दिया, किंतु आगे मलिक एवं ग्रेगरी पॉशेल ने परिवर्तित रूप में सभ्यता के आगे जारी रहने की बात की है।

नगरीय उत्कर्ष के पश्चात् यह सभ्यता ग्रामीण चरण में पहुँच गई क्योंकि इसने नगरीय तत्वों को खो दिया। उदाहरण के लिए, नगर निर्माण योजना, मनकों, मुहरों, कांस्य तथा पकी हुईं ईंटों आदि का प्रयोग। इसने क्षेत्रीय संस्कृति का रूप ले लिया, जिसे ‘परवर्ती हड़प्पा संस्कृति’ का नाम दिया गया। इसके निम्नलिखित उदाहरण देखे जा सकते हैं, जैसे- पंजाब-हरियाणा में कब्रगाह- ‘एच (H)’ संस्कृति, सिंध में झूकर संस्कृति तथा लाल चमकीले मृद्भाण्ड संस्कृति आदि।

इतना ही नहीं, ऐतिहासिक काल में भी इस सभ्यता की निरंतरता किसी न किसी रूप में बनी रही। निम्नलिखित क्षेत्रों में हड़प्पाई तत्वों को रेखांकित किया जा सकता है। जैसे- अरावली से दक्षिण-पूर्व के कृषक समुदाय इस सभ्यता के लोगों से किसी न किसी रूप में सम्पर्क में रहे थे।

आगे इसी प्रकार कायथा, मालवा व जोर्वे संस्कृति के लोग इस सभ्यता के साथ सम्बद्ध रखते थे। भारतीय समाज एवं संस्कृति में इन कृषक संस्कृतियों का महत्वपूर्ण योगदान है। पहले तो हड़प्पा सभ्यता के पतन के पश्चात् भी इन ग्रामीण संस्कृतियों ने किसी न किसी रूप में कृषि तथा तकनीकी ज्ञान को बनाए रखा। फिर, आगे गंगा घाटी में होने वाले द्वितीय नगरीकरण में इन्होंने अहम भूमिका निभाई। अगर पहले नगरीकरण का केन्द्र सिंधु घाटी था, तो दूसरे नगरीकरण का केन्द्र गंगा घाटी हो गया।

इस प्रकार हम पाते हैं कि हड़प्पा सभ्यता मरकर भी नहीं मरी, बल्कि भारतीय संस्कृति को एक नई ऊर्जा दे गई और यह आज भी भारतीय मनोभाव और रीति-रिवाजों में महसूस की जा सकती है।

            

PEP 2

विजयनगर के शासक कृष्णदेवराय को एक विलक्षण शासक क्यों माना जाता है? इस कथन के प्रकाश में कृष्णदेव राय की उपलब्धियों पर प्रकाश डालिए।

Why is the ruler of Vijaynagar, Krishnadevaraya, is characterized as a unique king. In the light of above statement highlight the achievements of Krishnadevaraya.

मध्यकालीन भारत के इतिहास में कृष्णदेवराय महानतम शासकों में एक माने जाते हैं। श्रीनिवास रेड्डी ने हाल ही में लिखित अपनी पुस्तक में कृष्णदेवराय को हिन्दुस्तान के प्रथम ‘ग्लोबल नेता’ के रूप में स्वीकार किया है।

कृष्णदेवराय की विलक्षणता उसकी चतुर्दिक उपलब्धियाँ हैं। दो वंशागत सत्ता परिवर्तन के कारण विजयनगर साम्राज्य कमजोर पड़ गया था, उम्मतूर का सामंत शासक स्वतंत्र रूप से आचरण कर रहा था, उड़ीसा का शासक प्रतापरूद्रदेव उदयगिरी के तटवर्ती क्षेत्रें पर अधिकार किए हुए था, बहमनी राज्य के उत्तराधिकारी राज्यों में बीजापुर, विजयनगर पर दबाव बनाए हुए था और पश्चिमी तट पर पुर्तगालियों की शक्ति सुदृढ़ होती जा रही थी।

अतः सत्ता प्राप्त करने के उपरांत कृष्णदेवराय ने इन चुनौतियों का सफलतापूर्वक सामना किया और बीजापुर से रायचूर एवं बीदर से गुलबर्गा का क्षेत्र छीना साथ ही गजपति शासक से तेलंगाना का क्षेत्र छीना एवं उसकी पुत्री से विवाह किया।

प्रशासनिक सुदृढ़ीकरण के क्रम में उसने विद्रोही नायकों का दमनकर उन्हें प्रशासन में शामिल किया एवं प्रजा कल्याण के कार्यों को प्राथमिकता प्रदान दी।

प्रशासन के साथ ही अर्थव्यवस्था के विकास हेतु उसने पुर्तगाली अभियंताओं की मदद् से कृषि विकास हेतु नहरों का निर्माण करवाया। सबसे बढ़कर उसने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सम्बंध स्थापित किए एवं कूटनीतिक संधियाँ कीं जैसे उसने पुर्तगालियों के साथ गठबंधन कर अश्व व्यापार पर नियंत्रण स्थापित किया।

सांस्कृतिक क्षेत्र में कृष्णदेवराय की उपलब्धियाँ विलक्षण हैं। उसने अपने साम्राज्य में समन्वित संस्कृति को बढ़ावा दिया, जिसे बार्बोसा के कथनों से समझा जा सकता है जिसमें वह कृष्णदेवराय के संदर्भ में कहता है कि, राजा की ओर से इतनी छूट थी कि सभी अपने-अपने धर्मानुसार आचरण करते थे। कभी किसी से यह नहीं पूछा जाता था कि वह ईसाई है, यहूदी है, मूर है या हिथेन है, समता एवं न्याय का सिर्फ शासक द्वारा ही नहीं, बल्कि एक-दूसरे के प्रति लोगों द्वारा भी पालन किया जाता था।

इसके साथ ही कृष्णदेवराय ने तेलुगु में रचनाएँ कीं तथा तेलुगु के आठ कवियों (अष्टदिग्गज) को संरक्षण दिया। साथ ही हजाराराम एवं विट्ठलस्वामी मंदिरों का निर्माण करवाया तथा विभिन्न नगरों की स्थापना की।

 

PEP 3

मुस्लिम लीग के लाहौर अधिवेशन (मार्च, 1940) ने द्विराष्ट्र के सिद्धान्त को प्रतिपादित किया, परन्तु उसकी परिणति अन्ततः दक्षिण एशिया में तीन राष्ट्रों के निर्माण में हुई।

Lahore session of Muslim League (March, 1940) propounded two-nation theory but it finally culminated into the three nations in South Asia.

मुस्लिम लीग के लाहौर अधिवेशन में जिन्ना द्वारा प्रतिपादित द्विराष्ट्र सिद्धांत आरम्भ से ही उलझन का शिकार रहा। इसी उलझन के कारण आगे द्विराष्ट्र सिद्धांत असफल हुआ और एक अलग राष्ट्र अस्तित्व में आया।

लाहौर अधिवेशन में जब मुहम्मद अली जिन्ना द्विराष्ट्र सिद्धांत की बात कर रहे थे, तब उन्होंने ‘पाकिस्तान’ शब्द का इस्तेमाल नहीं किया और बदले में उन्होंने स्वतंत्र मुस्लिम राज्य अथवा राज्यों के शब्द का प्रयोग किया। कहा जाता है इसमें बांग्लादेश की संभावना छिपी हुई थी। फिर मुस्लिम समुदाय को एक एकाश्मक समूह मानना उचित नहीं था। बांग्लादेश का विभाजन भाषायी पहचान के आधार पर हुआ।

इसके साथ ही जिन्ना ने इस अधिवेशन में घोषित किया कि हिन्दू और मुस्लिम दो धर्म हैं। अतः वे दो राष्ट्रों में ही आगे बढ़ सकते हैं, न कि एक संयुक्त भारत में।

गौरतलब है कि के.एन. पणिक्कर जैसे विद्वान का मत है कि हिन्दू और मुस्लिम पिछले कई सौ वर्षों से एक-दूसरे के साथ रहते हुए भारत में एक समन्वित संस्कृति का विकास कर चुके थे और धर्म उनके लिए संस्कृति का केवल एक पहलू मात्र था।

अतः हम देखते हैं कि पणिक्कर की बात सच साबित हुई और आगे भाषा एवं संस्कृति के अन्य पहलुओं के आधार पर पूर्वी पाकिस्तान ने पश्चिमी पाकिस्तान से अलग होकर ‘एक धर्म, एक राष्ट्र’ की अवधारणा को नकार दिया। इस प्रकार जिन्ना का द्विराष्ट्र सिद्धांत का फॉर्मूला असफल हो गया।

निष्कर्षतः अंत में संस्कृति जीत गई और धर्म हार गया। जिन्ना के लाख प्रयासों के बावजूद भी आज स्वयं पाकिस्तान एक वास्तविक राष्ट्र के रूप में सफल नहीं हो सका है।

 

PEP 4

संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा जापानी शहरों पर परमाणु बमबारी से द्वितीय विश्व युद्ध समाप्त हो गया, लेकिन शीत युद्ध शुरू हो गया। स्पष्ट कीजिए।

Nuclear bombardment on Japanese cities by USA ended the Second World War but started the Cold War Elucidate.

परमाणु हथियारों का निर्माण अगस्त, 1945 में जापान के नगर हिरोशिमा आरै नागासाकी पर इसका प्रयोग मानव इतिहास में एक दर्दनाक अध्याय है।

संयुक्त राज्य अमेरिका का यह दावा कि यह द्वितीय विश्व युद्ध को समाप्त कर नागरिकों और सैनिकों की जान बचाने के लिए किया गया था, एक गलत दावा है क्योंकि इसने शीतयुद्ध को जन्म दिया ।

यह कूटनीतिज्ञों एवं सैन्य विशेषज्ञों के लिए जटिल प्रश्न है कि क्या इस समय जापान के विरूद्ध परमाणु हथियार का प्रयोग जरूरी था? यह इसलिए क्योंकि मई, 1945 में जर्मनी समर्पण कर चुका था और जापान में भी राजनीतिक नेताओं का एक समूह शांति की वार्ता के लिए तैयार था। फिर संयुक्त राज्य अमेरिका ने इतना कठोर निर्णय क्यों लिया?

विशेषज्ञों का मानना है कि परमाणु हथियार को जापान के साथ सोवियत रूस के विरूद्ध भी उपयोग में लाया गया था। एक तरफ जापान को घुटने टेकने पर मजबूर किया गया, तो दूसरी तरफ यह सोवियत रूस के लिए कठोर चेतावनी थी। 8 अगस्त को सोवियत रूस भी संयुक्त राज्य अमेरिका के पक्ष में शामिल हो गया था, परंतु 9 अगस्त को नागासाकी पर हमला क्यों हुआ? गहराई से इस तथ्य का परीक्षण करने पर पता चलता है कि संयुक्त राज्य अमेरिका नागासाकी पर हमला करके सोवियत रूस को दबाव में लाना चाहता था ताकि वह यूरोप के अलावा अन्य महाद्वीपों में अमेरिका के वर्चस्व को चुनौती न दे सके।

इसके साथ ही अमेरिका दुनिया को इस हमले के माध्यम से संदेश देना चाहता था कि आगे आने वाले समय में वही एकमात्र सैनिक एवं आर्थिक शक्ति होगा और सभी राष्ट्रों को उसकी शक्ति को मानना पड़ेगा। किंतु उसके प्रतिउत्तर में सोवियत रूस भी एक परमाणु शक्ति संपन्न राष्ट्र बन गया और फिर शीत युद्ध की शुरूआत हो गई।

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