मुख्य परीक्षा अभ्यास प्रश्न -98
प्रश्न -‘नेपोलियन जर्मन एकीकरण का अचेत उत्प्रेरक था।’ व्याख्या कीजिए।(२०० शब्द )
उत्तरः जर्मन राष्ट्रवाद की गहरी सांस्कृतिक जड़ों के बावजूद, नेपोलियन बोनापार्ट भी जर्मनी के एकीकरण के लिए एक अनजान उत्प्रेरक सिद्ध हुआ। उसकी भूमिका उस विशिष्ट व्यावसायिक बल की भाँति थी जो पराजित राष्ट्र को खुद से यह पूछने के लिए मजबूर करता है कि वह भविष्य में इस तरह के अपमान को कैसे रोक सकते हैं। उसने जर्मन क्षेत्र में जो राजनीतिक-प्रशासनिक परिवर्तन किए, वे जर्मनी के भविष्य के दृष्टिकोण हेतु अनजाने में उकसाने वाले सिद्ध हुए।
जर्मन पहचान की भावना जर्मन राष्ट्र-राज्य के उदय से पहले की है। जर्मन भाषा एवं उसकी संस्कृति की समृद्धि का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि मार्टिन लूथर ने अपने प्रसिद्ध 95 थीसिस को जर्मन भाषा में लिखा था।
तृतीय गठबंधन के प्रसिद्ध युद्ध में अपनी विजय के पश्चात्, नेपोलियन ने राईन परिसंघ का निर्माण किया, जिसने पवित्र रोमन साम्राज्य की भूमिका को प्रभावी ढंग से समाप्त कर दिया। इसके पश्चात, जोसेफ द्वितीय ने अपने संबंधित दायित्व को त्याग दिया एवं अब वह मात्र ऑस्ट्रिया के सम्राट के रूप में जाना गया।
पवित्र रोमन सम्राट, जर्मनी के एकीकरण के लिए एक बड़ी बाधा था क्योंकि कुछ जर्मन रियासतों ने उसके साथ गठबंधन कर कर लिया था। इससे उसे जर्मन क्षेत्र के मामलों में दखल देने का अधिकार मिल गया था।
उसने 300 छोटे -बड़े, जर्मन राज्यों को एक साथ लाकर उन्हें 16 बड़े राज्यों में पुनर्गठित किया था एवं अब इन्हीं 16 राज्यों को साथ लाकर एक ‘राइन परिसंघ’ का निर्माण किया।
यहाँ जब वियना कांग्रेस ने नेपोलियन द्वारा लागू किए गए कई परिवर्तनों को रद्द कर दिया, तब जर्मन परिसंघ जो उसने स्थापित किया था पहले की तुलना में नेपोलियन के सुधारों के बाद कहीं अधिक युत्तिसंगत हो गया।
नेपोलियन ने इन राज्यों के आंतरिक प्रशासन में सुधार किया एवं नेपोलियन संहिता की शुरुआत की, उसने सामंतवाद को समाप्त कर दिया और इन राज्यों में चर्च की शक्ति को भी कम कर दिया। उसने ईसाईवादी राज्यों को धर्मनिरपेक्ष बनाया।
अतः जब कभी नेपोलियन जर्मनी गया तो उसका एक मुत्तिफ़दाता और स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व के अग्रदूत के रूप में स्वागत किया गया। परंतु शुरुआती उत्साह जल्द ही दुश्मनी में बदल गया क्योंकि अब यह स्पष्ट हो गया कि नई प्रशासनिक व्यवस्था एवं राजनीतिक स्वतंत्रता साथ-साथ नहीं चल सकते।
बढ़ा हुआ कराधान, सेंसरशिप, शेष यूरोप को जीतने के लिए आवश्यक मानव संसाधन हेतु फ्रांसीसी सेना में जबरन भर्ती सभी प्रशासनिक परिवर्तनों के लाभों से आगे निकल गए।
अतः अब आगे जर्मन राज्यों ने मिलकर नेपोलियन के विरुद्ध युद्धों में भाग लिया_ इन राज्यों की सेनाओं के बीच घनिष्ठ सहयोग ने जर्मनों के बीच भी सहयोग की भावना को बढ़ाया। एक साझा दुश्मन से लड़ना जर्मन राष्ट्रवाद हेतु एक अनजान उत्प्रेरक सिद्ध हुआ।
एक दमनकारी शक्ति के खिलाफ लड़ाई ने जर्मन स्वच्छंदतावाद के विचारकों की कल्पना को जगा दिया। उनकी कला और साहित्य जर्मन राष्ट्रवाद के लिए एक प्रमुख ईंधन सिद्ध हुई।
नेपोलियन अपने पराजित शत्रुओं का अपमान करता था। टिल्सिट की संधि में उसने प्रशा के लगभग आधे प्रदेशों पर अधिकार कर लिया। इस प्रकार की कार्रवाईयों ने गहरे स्तर पर उसके विरुद्ध असंतोष के बीज बोए, युद्ध क्षतिपूर्ति जो उसने प्रशा पर थोपी थी, उसने उसके प्रशासन और अर्थव्यवस्था में सुधारों को आवश्यक बना दिया। स्टीन-हार्डेनबर्ग सुधारों के तहत प्रशा में आरंभ हुए परिणामी सुधार आंदोलन ने प्रशा को जर्मन प्रश्न के अग्रभाग में ला दिया।
अतः इस प्रकार नेपोलियन ने अनजाने में जर्मन समाज को राजनीतिक विभाजन के बावजूद यह याद दिलाया कि उन्हें अपने राष्ट्र की रक्षा के लिए एकजुट होना चाहिए। इसकी तुलना भारत के स्वतंत्रता आंदोलन से की जा सकती है जहांँ विभिन्न क्षेत्रो ने अपनी एकता को महसूस किया क्योंकि वे एक सामान्य उत्पीड़क के अधीन थे।