मुख्य परीक्षा अभ्यास प्रश्न -81
प्रश्नः महिला दासों के उल्लेख के साथ इब्नबतूता द्वारा दास प्रथा पर दिए गए साक्ष्य की विवेचना कीजिए।
उत्तरः इब्नबतूता मोरक्को का यात्री था। उसे यात्रा करने का बहुत शौक था। भारत से पूर्व उसने सीरिया, इराक, फारस, यमन, ओमान तथा पूर्वी अफ्रीका की यात्रा की थी। वह 1333 में मध्य एशिया के रास्ते सिंध पहुँचा। उसके लिए यात्रा ज्ञान प्राप्त करने का महत्वपूर्ण साधन था। उसने यात्रा के मध्य जो अनुभव प्राप्त किया वह उसे अपनी पुस्तक ‘किताब उल रेहला ’ में लिपिबद्ध किया तथा इसके माध्यम से अन्य लोगों के साथ अपना अनुभव बांटा। इसी संदर्भ में उसने दास व्यवस्था पर भी प्रकाश डाला है।
इब्नबतूता के विवरण से ज्ञात होता है कि असमान संबंधों पर आधारित मध्यकालीन जीवन पद्धति में दास व्यवस्था एक स्वाभाविक प्रवृत्ति थी। अन्य सामग्रियों की तरह दासों की भी बाजार में खुली खरीद बिक्री होती थी। दासों का उपहारों की तरह आदान-प्रदान भी होता था। उसके विवरण से यह ज्ञात होता है कि जब वह सिंध पहुँचा था तब उसने मुहम्मद-बिन-तुगलक को उपहार देने के उद्देश्य से घोड़े, ऊँट तथा दास खरीदे थे। उसी प्रकार जब वह मुल्तान पहुँचा था वहां के गवर्नर को उसने घोडे़ एवं दास भेंट में दिए थे। फिर इब्नबतूता सूचित करता है कि सुल्तान की सेवा में दासियाँ भी होती थीं तथा उनमें से कुछ नृत्य एवं संगीत में प्रवीण होती थीं। स्वयं इब्नबतूता ने सुल्तान की बहन के विवाह के अवसर पर उन दासियों के कार्यक्रम को देखा था। उसके अनुसार महत्वपूर्ण कुलीनों की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए भी सुल्तान दासियों का उपयोग करता था।
आगे वह हमें यह भी सूचना देता है कि घरेलू कार्यों में भी दासों को लगाया जाता था परंतु उन्हें बहुत कम मेहनताना दिया जाता। वे प्रायः पालकी उठाने का भी काम करते। प्रत्येक कुलीन के घर में कम-से-कम एक अथवा दो दास होते। इस तरह इब्नबतूता के विवरण से हमें 14वीं सदी के मध्यकालीन समाज की झलक मिलती।