Feb. 5, 2022

मुख्य परीक्षा अभ्यास प्रश्न -46

प्रश्न : भारत के विभाजन पर गाँधी, नेहरू एवं मौलाना आजा़द की प्रतिक्रिया को दर्शाईए।

उत्तरः विभाजन पर विभिन्न नेताओं के अलग-अलग दृष्टिकोण रहे किन्तु अधिकांश नेता विभाजन की अपरिहार्यता को स्वीकार कर चुके थे। आरंभ में ऐसा कहा गया था कि गाँधी के ऊपर कांग्रेस के नेताओं के द्वारा विभाजन को थोपा गया था उन्होंने इसे स्वेच्छा से स्वीकार नहीं किया था। किन्तु यह बात लगभग सिद्ध हो चुकी है कि तब गाँधी भी ऐसा मानने लगे थे कि विभाजन को टालना संभव नहीं था। बस, उन्होंने एक आशावादी विकल्प यह रखा कि विभाजन के शीघ्र बाद हम पाकिस्तान की यात्र करेंगे तथा भारत एवं पाकिस्तान की एकीकरण के लिए एक आंदोलन खड़ा करेंगे।

गाँधी के शिष्य, नेहरू, यह समझ गए थे कि विभाजन का विकल्प था व्यापक रक्तपात एवं हिंसा, इसलिए उनके विचार में एकता को बनाए रखना संभव नहीं रह गया था विशेषकर इसलिए कि सुरक्षा व्यवस्था भी ब्रिटिश के हाथों में थी। इस प्रकार विभाजन की अपरिहार्यता नेहरू को स्पष्ट हो चुकी थी।  

कांग्रेस नेताओं में पटेल एक ऐसे नेता थे जिसने विभाजन की अपरिहार्यता सबसे पहले महसूस किया था। उनका मानना था कि पंजाब, बंगाल और अंतरिम सरकार में पहले ही विभाजन घटित हो चुका है। इसलिए अगर भारत विभाजन को स्वीकार नहीं करता तो भारत कई टुकड़ों में बँट जाएगा।

इस संबंध में मौलाना आजाद का विचार अलग था। उनका मानना था कि चँूकि ब्रिटिश को भारत से लौटने की जल्दवाजी थी इसलिए ब्रिटिश ने भारत पर विभाजन जबरन थोप दिया। उनके विचार में अगर भारतीय स्वतंत्रता के लक्ष्य को  कुछ समय के लिए टाला जाता तो संभव था कि विभाजन का विकल्प ढूँढ लिया जाता।