Dec. 31, 2021

मुख्य परीक्षा अभ्यास प्रश्न -16

प्रश्नः- क्या आप इस बात से सहमत हैं कि मुहम्मद-बिन-तुगलक की योजनाएँ भली-भाँति संकल्पित निकृष्टतः कार्यान्वित और विनाशपूर्णतः परित्यक्त थी? चर्चा कीजिए।

उत्तरः- मध्यकालीन भारत के इतिहास में मुहम्मद-बिन-तुगलक एक ऐसा सुल्तान रहा है जिसके मूल्यांकन में पूर्वाग्रहपुर्ण इतिहास लेखन एक बड़ी समस्या रही। समकालीन लेखक बरनी, इसामी एवं इब्नबतूता ने उसके व्यक्त्ति्व को तोड़-मरोड़कर प्रस्तुत किया तथा दुर्भाग्यवश आधुनिक विद्वानों ने उस विचार को ज्यों-का-त्यों स्वीकार कर लिया।

परंतु नवीन शोधों ने यह स्थापित किया है कि वह अद्भुत प्रतिभा से युक्त प्रगतिशील सोच वाला शासक था। उसकी सोच एवं योजनाएँ युग से  आगे थी। उसकी राजधानी परिवर्त्तन की योजना उसकी अखिल भारतीय सोच की उपज थी। अर्थात् उसके विचार में दिल्ली उत्तर भारत का केन्द्र था परंतु समस्त हिन्दुस्तान का केन्द्र नहीं।

उसी प्रकार सांकेतिक मुद्रा का प्रयोग एक विलक्षण कदम था। वैश्विक स्तर पर चांदी की कमी को देखते हुए तथा बड़ी संख्या में मुद्राओं की जरूरत पूरा करने के लिए तांबे अथवा कांसे की मुद्रा का प्रचलन एक प्रगतिशील कदम था। उसी तरह दोआब में खेती का निर्णय एक बड़ा आर्थिक प्रयोग था। वह पहला ऐसा सुल्तान था जिसने केवल भू-राजस्व में वृृृृृृद्धि के माध्यम से नहीं बल्कि उपज में वृद्धि के माध्यम से राजकीय आय को बढ़ाना चाहता था। इसके अतिरिक्त दोआब का करारोपण भी कोई अनुचित कदम नहीं था क्योंकि इससे पूर्व अलाउद्दीन खिलजी यह प्रयोग कर चुका था और राज्य को एक ठोस आर्थिक आधार देने के लिए आवश्यक था। जहां तक खुरासान अभियान का सवाल है तो यहां भी मुहम्मद-बिन-तुगलक ने उत्तर-पश्चिम सीमा की सुरक्षा के लिए जो आक्रमण योजना बनाई थी वह अपने आप में विलक्षण थी। अंत में कराचिल योजना सीमा सुरक्षा के प्रति संवेदनशीलता को दर्शाती है।

परंतु अगर उसकी उर्वर सोच के अनुरूप उसका क्रियान्वयन पक्ष भी सुदृढ़ रहता तो फिर इतिहास में उसका स्थान कहीं ऊँचा होता। परंतु वह एक जल्दबाज और गर्म मिजाज व्यक्ति था। वह तेजी से योजना बनाता परंतु उसकी योजना सैद्धांतिक सोच तक सीमित रह जाती। वह क्रियान्वयन में तत्परता नहीं दिखा पाता। फिर, उसे न तो अपने अधिकारियों के व्यवहार की समझ थी और न ही अपने प्रजा के मनोविज्ञान की। सबसे बढ़कर आरंभिक विफलता का सामना करने पर वह तेजी से योजनाओं को त्याग देता और उन्हें सुधारकर आगे बढ़ाने का प्रयास नहीं करता। इसलिए उसकी लगभग सभी योजनाएं धाराशायी हो गई तथा इन्होंने राज्य एवं प्रजा पर नकारात्मक प्रभाव उत्पन्न किया। इस तरह मुहम्मद बिन तुगलक की योजनाएँ उर्वर सोच परन्तु दोषपूर्ण क्रियान्वयन का ज्वलंत उदाहरण है।